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13 february-Sarojani Naidu’s Birth Anniversary : भारत कोकिला सरोजिनी नायडू के जयंती पर जाने उनके जीवन के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में

देश की महिला नेताओं ने कई सदियों से अन्य महिलाओं को अपनी आवाज बनने के लिए प्रेरित किया इसके साथ ही उन्होंने हमेशा महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए खड़े होने और बुराई के खिलाफ लड़ने को कहा, ऐसे ही एक नेता जो महिलाओं के लिए हमेशा ही एक प्रेरणा स्रोत बनी रही, वे हैं भारत कोकिला सरोजिनी नायडू । सरोजिनी नायडू एक नारीवादी कार्यकर्ता कवियत्री और राजनीतिक नेता रही थी। आज 13 जनवरी को उनकी जयंती (Birth Anniversary) है, और इसी मौके पर हम आपको बताने वाले हैं सरोजनी नायडू के जीवन से जुड़े कुछ अनकहे पहलुओं के बारे में…
सरोजनी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया, वे गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक पिता मानती थी। कांग्रेस से जुड़ने के बाद साल 1925 में उन्होंने भारतीय महिला कांग्रेस की अध्यक्ष बना दिया गया और देश के आजाद होने के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल भी नियुक्त किया गया।
13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में जन्मी सरोजनी नायडू को “भारत की कोकिला” के नाम से भी जानते हैं। उन्होंने बहुत ही छोटी उम्र में लिखना शुरू कर दिया था और अंग्रेजी में उनकी कई लिखी हुई कविता है तथा उनका पहला नाटक जो फारसी भाषा में लिखा गया ‘माहेर मुनीर’ ने हैदराबाद के तत्कालीन निजाम का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
तो आइए जानें हैं सरोजनी नायडू (Nightangale of India) के जीवन से जुड़ी कुछ जरूरी बातें…
1, सिर्फ 12 साल की उम्र में ही सरोजनी ने अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत कर दी थी उन्होंने अपने नाटक माहेर मुनीर से पहचान हासिल की।
२. 16 साल की उम्र में सरोजनी नायडू को हैदराबाद के निजाम की ओर से छात्रवृत्ति मिली जिससे वे लंदन किंग्स कॉलेज में पढ़ाई करने चली गई।
3, देश में प्लेग महामारी के दौरान सरोजिनी नायडू के किए गए कामों के लिए अंग्रेजी सरकार ने उन्हें ‘केसर-ए-हिंद’ पद से सम्मानित किया लेकिन जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद उन्होंने विरोध के रूप में यह सम्मान अंग्रेजी सरकार को वापस लौटा दिया।
4. स्वतंत्रता प्राप्त करने के 2 साल बाद 2 मार्च 1949 को लखनऊ के गवर्नमेंट हाउस में कार्डियक अरेस्ट की वजह से सरोजिनी नायडू का निधन हो गया, वे अपने अंतिम समय में अपने कार्यालय में ही कार्यरत थीं।
5, उनके निधन के करीब 12 साल बाद 1961 में उनकी बेटी ब्रह्मा ने उनकी कविताओं का एक संग्रह प्रकाशित करवाया। इस संग्रह का नाम ‘द फेदर ऑफ द डॉन’ था ।

रोजिनी नायडू के कुछ अनमोल विचार-

हम अपनी बीमारी से भारत को
साफ करने से पहले
पुरुषों की एक नई नस्ल चाहते हैं.
– सरोजिनी नायडू

हम मकसद की गहरी ईमानदारी चाहते हैं,
भाषण में अधिक साहस और
कार्रवाई में ईमानदारी. – सरोजिनी नायडू

देश की महानता प्रेम और त्याग के
अपने आदर्श आदर्शों में निहित है
जो देश की माताओं को प्रेरित करती है.
-सरोजिनी नायडू

जब अत्याचार होता है, केवल आत्म-सम्मान
की ही बात उठती है, वे कहते हैं कि यह
आज खत्म हो जाएगा, क्योंकि ये मेरा अधिकार न्याय है.
यदि आप मजबूत हैं, तो आपको खेलने मे और काम
दोनों में कमजोर लड़के या लड़की
की मदद करनी होगी.- सरोजिनी नायडू

एक देश की महानता,बलिदान
और प्रेम उस देश के आदर्शों
पर निहित करता है.- सरोजिनी नायडू

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